हिमांशु गुप्ता
पाकिस्तान की सेना ने पहलगाम का हमला करवा तो लिया, लेकिन अब भारत की संभावित प्रतिक्रिया से घबराहट में है। उसकी घबराहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे मामले में भारत ने पाकिस्तान का सीधे नाम नहीं लिया फिर भी बौखलाहट में उसने दुनिया के सामने गुहार लगाना चालू कर दिया। प्रधानमंत्री के मधुबनी के भाषण के बाद तो पाकिस्तान की पूरी सेना बुरी तरह दहशत में हैं। वहां का मीडिया बता रहा है कि तीनों सेनाओं के अधिकारी कई घंटों से सोए नहीं हैं कि पता नहीं कब भारत हमला कर दे। दरअसल,पहलगाम आतंकी हमले के दूसरे दिन बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा मामलों के लिए बनी कैबिनेट समिति ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिनमें 1960 में विश्व बैंक के हस्तक्षेप से तैयार की गई सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है। कैबिनेट की सुरक्षा समिति द्वारा दिए गए निर्णय की जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी पूरी प्रेस ब्रीफिंग में कहीं भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, इसके बावजूद पाकिस्तान ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। दरअसल,भारत ने पहलगाम आक्रमण के बाद जो विभिन्न निर्णय लिए हैं, उनसे पाकिस्तान में हडक़ंप मचा हुआ है। पाकिस्तान की सेना को आशंका है कि सिंधु जल संधि के निलंबित होने से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हाहाकार मच जाएगा। ध्यान रहे सिंधु जल संधि का सबसे ज्यादा लाभ पाकिस्तान का पंजाब उठाता है क्योंकि पाकिस्तानी सेना के ज्यादातर अधिकारी पंजाबी हैं। बहरहाल, पहलगाम का हमला ऐसे समय किया गया जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की यात्रा पर थे। हालांकि पाक ने पर्यटकों की मौत पर शोक व्यक्त करने का प्रपंच तो रचा, लेकिन हमले की निंदा करने से परहेज किया। अब ऐसे में सवाल है उरी(2016) और पुलवामा (2019) की तरह क्या भारत पहलगाम के बाद ऐसी प्रतिक्रिया को जन्म देगा ? वैसे कूटनीतिक मोर्चे पर, भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में इस्लामाबाद को बेनकाब और शर्मिंदा करने का एक बड़ा अवसर है। पहलगाम जांच के नतीजों और तहव्वुर राणा से पूछताछ से भारत के इस रुख की पुष्टि होने की उम्मीद है कि पाकिस्तान आज भी आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है। बहरहाल, पहलगाम में पाक पोषित आतंकियों ने जो खूनी खेल खेला, उसने पूरे देश को झकझोरा है। सैर-सपाटे के लिए गए लोगों को मौत मिलेगी, ऐसी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी,लेकिन एक हकीकत है कि देश-विदेश के 26 पर्यटक आतंकियों की गोली के शिकार हुए। हमले ने शेष देश के साथ कश्मीर की आत्मा को भी झकझोरा है। यह त्रासदी सिर्फ जम्मू-कश्मीर की ही नहीं है, बल्कि इस हमले ने पूरे देश को गहरा जख्म दिया है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इस पीड़ादायक हादसे के बाद घाटी के लोगों ने हमले की एकजुट होकर निंदा की गई है। घाटी में 35 साल बाद पहली बार आतंकी हमले के खिलाफ बंद का आयोजन किया गया है। बुधवार को बंद के आह्वान के बाद श्रीनगर में अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। लोग सडक़ों में दुख और आक्रोश व्यक्त करते नजर आए। कहा कि यह घटना कश्मीर की अतिथि और शांति की भावना के साथ विश्वासघात है। दरअसल, लश्करे-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन के इस हमले का मकसद पर्यटकों में खौफ पैदा करना और घाटी में सामान्य स्थिति की वापसी को रोकना था । पहलगाम जैसी जगह में जहां सत्तर फीसदी लोगों की आजीविका पर्यटन से जुड़ी है, वहां स्थिति सामान्य होने में अब लंबा वक्त लगेगा। आने वाले दिनों के लिये पर्यटकों ने अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं। बहरहाल, इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद केंद्र सरकार ने युद्धस्तर पर जो कार्रवाई की है, वो बड़ा संकेत है। आने वाले दिनों में इसका असर पता पड़ेगा।
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं)
(लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति merouttarakhand.in उत्तरदायी नहीं है)